नाभि का खिसकना और नाभि से जुड़ी कुछ आयुर्वेदिक समाधान...
जब नाभि अपने स्थान से खिसक जाती है या हट जाती है, तो पेट बहुत तेज दर्द होता है, बल्कि जब तक नाभि अपने स्थान पर न आ में जाए, यह दर्द बराबर बना रहता है और इस कारण दस्त लग जाते हैं। आगे को झुकने और कोई वजन आदि उठाने में भी कठिनाई होती है। नाभि को अपने स्थान पर बिठाना चाहिए। जब नाभि अपने स्थान पर आकर सैट हो जाए, तो कुछ खाना भी अवश्य चाहिए। यदि नाभि बार-बार हट जाती है, तो उसे बार-बार बिठाने का प्रयास करते नहीं रहना चाहिए, क्योंकि इससे वो झूठी पड़ जाती है। एक बार नाभि (नाप) बिठाने के पश्चात् दोनों पाँवों के अँगूठों में कोई नोटा काले रंग का धागा बाँध लेना चाहिए, इससे नाभि का हटना बन्द हो जाता है।
बीस ग्राम सौंफ को बीस ग्राम गुड़ में मिलाएँ और प्रातः काल खाली पेट सेवन करें। इससे अपने स्थान से हटी हुई नाभि यथा स्थान पर आ जाएगी।
नाभि पर सरसों का तेल मलने से नाभि के टलने, हटने अथवा खिसकने में लाभ होता है। रोग की तीव्रता होने पर रुई और ऊपर से कपड़े की पट्टी बाँध लें। कुछ दिनों की इस प्रक्रिया से वर्षों पुराना दोष भी जाता रहता है।
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